Tuesday, 18 April 2017

तू साथ तो चल। !

कुछ उत्तरप्रदेश के चुनाव के नतीजों के बाद का समावेश भाजपा की दृष्टि से ।

मैं देश बनाता चलूँगा तू साथ तो चल ।
यूँ दूर खड़ा है क्यूँ , आ थोड़ा बग़ल ।
अबतक तेरे मन में जो भी भरमाई है ।
वो मेरे नज़र में दिल की तेरे सचाई है ।

ये ग़ुस्सा तेरा जाएज है नादानी नहीं ।
तूने कहा बहुत है, अबतक किसी ने सुनी नहीं ।
मैं करता हूँ विश्वास तेरा, अब तू भी संभल ।कि
मैं विश्वास दिलाता हूँ, तू न होगा विफल ।

थे रात अंधेरो की आँगन में सोए हुए ।
कुछ आँसू भी थे सपनों को सँजोए हुए ।
अब पोंछ ये आँसू और हुनर के साथ निकल । 
अब लोग भी देखें तेरा आने वाला कल ।

हम सत्ता के गलियारों से साहस देंगे ।
पर चुनना होगा तुझे ही आने वाला कल ।
हम साथ चलेंगे तेरे हर अंग्राई के , 
पर करना होगा तुझे ही अपना भाग्य उदय ।

प्रस्तुति  - अभिषेक सिंह

माँ !

एक कविता माँ को समर्पित !!!

कभी कहीं ये आग की लपटो सी भावुक हो जाती है ।
कभी कभी ये अंतर्मन से भाव विभोर हो आती है ।
कभी न थकती, कभी न थमती सबला ऐसी नारी तू ।
ईश्वर से भी ऊँची पदवी रखती माँ हमारी तू ।

रात को न तू रात समझती, दिन तो जैसे ख़ाक है ।
तेरी मर्ज़ी के आगे मौसम की क्या औक़ात है ।
लपटों जैसी गरमी हो या सर्दी हो उस माघ की ।
हौसलों से भरी कहानी, तेरी दिन और रात की ।

ढूँढते हैं लोग अक्सर प्रेरणा संसार में ।
ढूँढते तो मिल ही जाती वो उसी परिवार में ।
फिर हताशाओं भरी न ज़िंदिगी महरूम हो ।
हर उदर एकलव्य की गुणगान में मशगूल हो ।

हर क़दम पर ढाल बनना है जिसकी सख़्सियत ।
नियति को भी बदल दे, है इसकी क़ाबिलियत ।
हर समय अहसास जिसका, ममता की गोद है ।
दुर्गा, सरस्वती माँ लक्ष्मी तू ख़ुद है ।

प्रस्तुति - अभिषेक सिंह